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गीता सार
गीता सार ꧁𝒬☞︎︎︎♔︎♔︎♔︎☜︎︎︎𝒬꧂ १. ☞︎︎︎ सदैव धर्म-अधर्म का चिंतन कर भगवान के आदेशानुसार जीवन...
🙏🙏दुख से कैसे छुटकारा पाएं🙏🙏
सुखी होने का रहस्य👈
सबकी निःस्वार्थ भाव से सेवा करें,, परंतु उम्मीद सिर्फ “ईश्वर” के सिवाय किसी और से ना करें… 👉यह उम्मीद ही “दुखों” का कारण बनता है,, हमारा बच्चा है तो उससे बहुत सी उम्मीदें हमारी होती है.. अगर वह उम्मीद पूरी नहीं हुई तो दुख.. अगर हमने किसी की मदद की, और हमारे बुरे वक्त में अगर उसने हमारी नहीं मदद की तो दुख.. अगर हमारी पत्नी ने नहीं हमारे कहे अनुसार किया तो दुख.. बेटे ने अगर कहना नहीं माना तो दुख.. कि हमने बेटे को पैदा किया है यह हमारा कहना नहीं मानता..👉 यह क्यों नहीं समझते कि भगवान ने एक जिम्मेदारी हमें सौंपी है बेटे के रूप में,, बेटी के रूप में… 👉मेरा कर्तव्य है इसे पढ़ा लिखा कर एक अच्छा और सच्चा नागरिक बना कर समाज को सौंप दू.. मेरी जिम्मेदारी पूरी हुई.. फिर वह मेरी सेवा- सहायता करें या ना करें.. 👌जिस दिन इस तरह की सकारात्मक विचारधारा (पॉजिटिव थिंकिंग) बन जाएगी.. उसी दिन से जीवन में “शांति” आना शुरू हो जाएगी..👉 पशु- पक्षियों को देखा है ना आपने.. किस तरह निस्वार्थ भाव से अपने बच्चों का पालन पोषण करते हैं,, पशुओं का बच्चा पैदा हुआ ..उसके माता पिता पालन पोषण करते हैं,, मां दूध पिलाती है,, बाद में बच्चा किधर, माता-पिता का पता नहीं…👉 पक्षियों को देखिए, बच्चे के लिए घोंसला बनाते हैं, बच्चे के पैदा होने के बाद चौच में ला- लाकर उसे खिलाते हैं..पंख खुलते ही वह पक्षी का बच्चा खुले आसमान में उड़ जाते हैं…🌺 सब जीव जंतु अपने अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं निस्वार्थ भाव से….👉 लेकिन मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो उम्मीदें लगाए रहता है ..और जब वह उम्मीदें टूटती है, तो “दुखी” होता है, रोता है..👉 याद रहे यह “मोह और माया” क्षेत्र है… जो जितनी जल्दी इस प्रकृति माता के खेल को समझ लेगा,,, वह उतना ही जल्दी सुखी हो जाएगा….👉 ना आप किसी के पिता है.. ना किसी के पति है.. ना किसी के भाई है.. ना किसी के बेटे… 🙏सबसे पहले आप “आत्मा” है🙏…. आप इस “कर्म लोक” में अपने पिछले अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब चुकता करने आए हैं…. और इस जन्म में अच्छे कर्म करके अपने आत्म -उन्नति करने आए हैं…. इसकी आत्म- समीक्षा रोज एकांत में बैठ के किया करें… याद रहे हमारी सांसे बहुत कम है.. और काम बहुत ज्यादा है.. इसलिए एक-एक क्षण का सदुपयोग करें.. पता नहीं कब सांसे रुक जाए…🙏
श्री यादवेन्द्र नारायण द्विवेदी कृत भजन
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गीता माता की सेवा में – 2
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