About The Foundation
यह गुप्त ज्ञान महान भक्तों से कहेगा जो सही।
मुझमें मिलेगा भक्ति पा मेरी, असंशय नर वही।
उससे अधिक प्रिय कार्य-कर्त्ता विश्व में मेरा नहीं।
उससे अधिक मुझको न प्यारा दूसरा होगा कहीं।
परम पुरुष की हृदयविहारिणी, प्राणवल्लभा, नअन्य भक्ति-माता ही गीता माता के रूप में इस धरती पर विद्यमान है। मेरे परम प्रिय भारत ! गीता माता की शरण ले लो। तुम्हारी उन्नति के सारे द्वार खुल जायेंगे।
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